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भविष्य में आपदा के नुक्सान को कम करने के लिए हो रही चर्चा

डेस्क |

आपदा की गतिशीलता पर विकासार्थ विद्यार्थी हिमाचल प्रदेश द्वारा शिमला में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। संगोष्ठी में पिछले दिनों हिमाचल में आई आपदा को लेकर चर्चा की जा रही हैं जिसमें विशेषज्ञ भविष्य में इस तरह की त्रासदी से बचने को लेकर अपने सुझाव दे रहे हैं। संगोष्ठी में NIT हमीरपुर के डायरेक्टर हरिलाल मुरलीधर रघुवंशी, ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान और मंडी विश्व विद्यालय के पूर्व वीसी प्रो. डीडी शर्मा ने अपने विचार सांझा किए।

सेमिनार में NIT हमीरपुर के डायरेक्टर हरिलाल मुरलीधर रघुवंशी ने कहा कि अन्य पहाड़ी राज्यों की तुलना में हिमाचल की मिट्टी अधिक रेतीली है। इसलिए यहां घर बनाने से पहले मिट्टी की टेस्टिंग बेहद जरूरी है ताकि मिट्टी की क्षमता के हिसाब से ट्रीटमेंट की जा सके और भविष्य में घर टूटने से बचाए जा सके।बेतरतीब शहरीकरण से आपदा में नुकसान कई गुणा बढ़ जाता है। सड़कों, पुलों और बहुमंजिला इमारतों का निर्माण इस प्रकार होना चाहिए कि वो इस प्रकार की आपदा को झेल सके।इसके अलावा उन्होंने रिहायसी क्षेत्रों में भी अधिक से अधिक पेड़ लगाने की आवश्यकता बताई।
बाइट…हरिलाल मुरलीधर रघुवंशी,… निदेशक ..NIT हमीरपुर

वहीं इस दौरान ABVP के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने कहा कि अब वक्त आ गया है जब प्रदेश में हुई आपदा की समीक्षा की जानी चाहिए। हिमाचल को किस प्रकार से भविष्य में आपदा से बचाया जा सकता है इसपर आज के सेमिनार में मंथन किया जा रहा है।सेमिनार से जो कुछ निष्कर्ष निकलेगा उसे प्रदेश सरकार से भी सांझा किया जाएगा। राजधानी शिमला क्षेत्र से भीड़ कम करनी होगी और कुछ दफ्तर यहां से बाहर शिफ्ट करने होंगे। समय रहते संजौली के स्मिट्री में उचित कदम उठाए जाने चाहिए ताकि भूकंप जैसी स्थिति में भी वहां कम से कम नुकसान हो।